जानिए गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है

Ganesh Chaturthi 2023: 19 September को देश के भगवान गणेश का जन्मदिन है, जिन्हें विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष के चौथे दिन मनाया जाता है। यह भी माना जाता है। यह वह दिन है जब भगवान गणेश का जन्म हुआ था।

गणेश चतुर्थी के दिन क्यों निषेध है

गणेश चतुर्थी, हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा और आराधना की जाती है, और लोग खुशियों के साथ उनकी आवश्यकताओं की मांग करते हैं। इस दिन का महत्वपूर्ण हिस्सा चंद्र दर्शन के निषेध का है, जिसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है।

गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त

गणेश चतुर्थी के पावन दिन, गणेश पूजा का अधिकतम महत्व होता है। इसके लिए शुभ मुहूर्त बड़े महत्वपूर्ण होते हैं। गणेश पूजा करने का सबसे अच्छा समय सुबह के समय होता है, और अधिकतर लोग इसका पालन करते हैं।

अधिकांश मंदिरों और पंडितों के अनुसार, शुभ मुहूर्त में गणेश पूजा करने से भगवान गणेश के आशीर्वाद से लाभ होता है। गणेश पूजा मुहूर्त 2 घंटे 27 मिनट लंबा है, जो सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक चलता है। ऐसी स्थिति में आप इस मुहूर्त में घर पर गणपति बप्पा हैं।

गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी का महत्व हिन्दू धर्म में अत्यधिक है। इस दिन भगवान गणेश का आगमन हुआ था, और वह देवों के प्रमुख गणपति थे। वे बुद्धि और विद्या के देवता माने जाते हैं, और उनकी कृपा से सभी कार्य सफल होते हैं। गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के पूजन का महत्वपूर्ण दिन माना जाता है जिसे पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

जानिए गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है

गणेश चतुर्थी पूजन विधि

गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश की पूजा करने के लिए विशेष विधि होती है। यह पूजा गृह परिवारों और मंदिरों में दोनों ही अच्छे तरीके से मनाई जा सकती है। पूजन की शुरुआत गणेश मूर्ति की स्थापना से होती है, और फिर पूजा के अनुसार प्रारंभ की जाती है।

गणेश पूजा में फल, मिठाई, नैवेद्य, और धूप-दीप की अर्चना होती है। भगवान गणेश की कथा का पाठ भी किया जाता है और उनका आराधना किया जाता है।

चंद्र दर्शन का निषेध

  • गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन का निषेध क्यों होता है, इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। चंद्र दर्शन का मतलब है कि चंद्रमा को देखने की अनुमति नहीं है, जो कि गणेश चतुर्थी के पावन दिन में निषेध होता है। इसका मुख्य कारण एक प्राचीन कथा से जुड़ा है।
  • कथा के अनुसार, दिन के समय, देवी पार्वती ने अपने पुत्र गणेश को दिन में चंद्रमा को देखने की अनुमति नहीं दी, जिससे गणेश ने चंद्रमा का मजाक उड़ा दिया। इसके परिणामस्वरूप, चंद्रमा पर गणेश का हंसना चुकता चढ़ गया और उनकी कठिनाइयाँ बढ़ गईं। इसके बाद, चंद्रमा का मुख अंधा हो गया, और वह सबकुछ उलटा-पुलटा दिखाने लगा।
  • इस दर्शन के कारण गणेश ने चंद्रमा को श्राप दिया कि वह कभी भी गणेश चतुर्थी के दिन दिन में दिखाई नहीं देगा। इससे चंद्रमा ने मान लिया और उसका मुख अंधा हो गया।
  • इस कथा से यह सिखने को मिलता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन न केवल धार्मिक निषेध है, बल्कि यह भी एक आध्यात्मिक संदेश है कि हमें गणेश के प्रति समर्पण और श्रद्धा रखनी चाहिए।

गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन के निषेध का धार्मिक महत्व होता है और यह हमें गणेश के महत्वपूर्ण उपास्य रूप की ओर मोड़ता है।

इस दिन को ध्यान में रखते हुए, हम गणेश की पूजा और आराधना करके उनके आशीर्वाद का आश्वासन प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति कर सकते हैं।

इसलिए, गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन का निषेध एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक अक्षर होता है, जिसका महत्व बहुत अधिक होता है।

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